गणेश स्थापना कैसे करें? — घर पर गणेश जी की मूर्ति की स्थापना (पूर्ण मार्गदर्शिका)
क्यों सही तरीके से स्थापना ज़रूरी है
गणेश स्थापना सिर्फ रूप-रिति नहीं, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा और बाधा-निवारण का प्रतीक मानी जाती है। सही मुहूर्त, दिशाएँ और शुद्धता का पालन करने से पूजा का फल माना जाता है। ताज़ा त्योहार-रिपोर्ट्स में भी घर पर स्थापना के नियम और परंपराएँ प्रमुख रूप से बताई जा रही हैं।
किस दिशा में गणेश रखें (वास्तु नियम)।
स्थापना से पहले की तयारी — सफाई, शुद्धिकरण और सामग्री।
चरण-दर-चरण स्थापना विधि और दिए जाने वाले मंत्र/भोग।
पुरानी मूर्ति के साथ क्या करें (विसर्जन/संरक्षण/पुनःपूजा)।
1) तैयारी (पूर्व आवश्यकताएँ)
1.
स्थान की सफाई — पूजा स्थल और घर की साफ़-सफाई करें। मिट्टी/कपड़े से मंच तैयार रखें।
2.
मूर्ति चुनें — परंपरा के अनुरूप मिट्टी/काठ/धातु/पत्थर — ध्यान रखें: पर्यावरण-हितैषी विकल्प (reusable/idols) भी सुझाये जा रहे हैं। हालिया लेखों में एक ही मूर्ति को बार-बार प्रयोग कर पर्यावरण बचाने के उदाहरण भी मिलते हैं।
3.
शुभ दिशा — वास्तु के अनुसार मूर्ति का मुख उत्तर/पूर्व/ईशान (उत्तर-पूर्व) की ओर रखने को शुभ माना जाता है; दक्षिण की ओर मुख न रखें।
2) शुभ मुहूर्त और समय
परंपरागत रूप से गणेश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त या गणेश चतुर्थी का दिन चुना जाता है; स्थानीय पंचांग और तिथि अनुसार मुहूर्त देखें। 2025 के त्यौहार कवरेज में भी यही सुझाव मिलता है — शुभ मुहूर्त का ध्यान जरूरी।
3) चरण-दर-चरण स्थापना विधि (सरल और प्रयोगयोग्य)
1. मंच पर सफेद कपड़ा बिछाएँ, यदि संभव हो तो चावल/गरिष्ठ अनाज पर प्लेस करें।
2. कलश स्थापना: पानी, थोड़ा सा चावल/कच्चा नमक रखें और कलश पर नारियल + मौली बांधें (यदि परंपरा के अनुसार)।
3. मूर्ति को सावधानी से रखें — यदि हाथ में दंड/सुगन्धि आदि हैं तो व्यवस्थित रखें। मुर्ति की सूंड और दिशा का वास्तु अनुसार ध्यान रखें।
4. पंचोपचार / षोडशोपचार — धूप, दीप, नैवेद्य (मोदक इत्यादि), पुष्प, अक्षत (चावल), गंध (इत्र/कपूर)। प्रतिदिन सुबह-शाम आरती और भोग दें।
5. मंत्रों में सामान्यतः “ॐ गं गणपतये नमः” या गणेश-विशिष्ट स्तोत्र/चँट के उच्चारण का प्रावधान रखें। (स्थानीय पुरोहित/पंडित के अनुसार विशेष मंत्र लें)।
4) स्थापना के बाद रोज़ की प्रथाएँ
प्रतिदिन आरती, फूल-भोग और दीपक।
मूर्ति को जमीन के बहुत नीचे या अधिक ऊँचे स्थान पर न रखें — मध्यम ऊँचाई श्रेष्ठ मानी जाती है।
5) गणेश जी की पुरानी मूर्ति का क्या करना चाहिए?
1.
यदि मिट्टी/इक-यूज (eco) मूर्ति है — पारंपरिक रूप से विसर्जन (समुद्र/नदी में) किया जाता है परंतु प्रदूषण चिंताओं के कारण अब निर्देश मिलते हैं कि प्रदूषण-रहित (eco-friendly) विधि से विसर्जन करें या नम-स्थल/बरगीर में ही छोड़ा जाए।
2.
यदि धातु/सोनचांदी/प्लास्टिक की मूर्ति — इन्हें धोकर (गंगाजल यदि उपलब्ध) साफ करके सुरक्षित स्थान (तिजोरी/अलमारी) में रखें; पुनः पूजा के लिए उपयोग हो सकता है। NDTV समेत धार्मिक मार्गदर्शिकाएँ यही सलाह देती हैं।
3.
विसर्जन का समय — सुबह का समय शुभ माना जाता है; मंगलवार शाम/सूर्यास्त के बाद विसर्जन से बचें जैसी पारंपरिक चेतावनियाँ भी मिली हैं।
4.
पुरानी मूर्ति पुनरुक्ति (re-use) — कई स्थानों पर एक ही मूर्ति को वर्षों तक उपयोग करने के सकारात्मक पर्यावरणीय उदाहरण मिलते हैं — यदि मूर्ति क्षतिग्रस्त न हो तो उसे सँजो कर रखना सर्वथा स्वीकार्य है।
6) सामान्य Vastu-tips और गलतियाँ जिनसे बचें
गणेश मूर्ति का मुख दक्षिण की ओर न हो।
मुख्य द्वार पर लगाने में ध्यान रखें: द्वार के ठीक सामने न रखें जहाँ सीधा मार्ग बने — थोड़ा बायाँ-दाँया स्थान उपयुक्त होता है।
7) जब आप भूल-चूक कर दें — क्या करें?
यदि स्थापना में कोई छोटी-मोटी गलती हो गयी हो (दिशा/वक्त की), तो पंडित से सुझाव लेकर पुनः शुद्धि/पुनः स्थापना कराना बेहतर बताया गया है — कई स्रोतों में यही सलाह दी गयी है।
Suggested Authoritative Sources (सुझाव — संदर्भ के लिए)
LiveHindustan — “गणेश चतुर्थी 2025 — स्थापना विधि” (स्थानीय मुहूर्त/विधि).
NDTV Faith — “Diwali के बाद लक्ष्मी-गणेश की पुरानी मूर्ति का क्या करें” (पुरानी मूर्ति पर दिशानिर्देश)।
Jansatta (Vastu guidance) — गणेश मूर्ति के वास्तु-नियम।
Webdunia — पारंपरिक स्थापना-विधि (पंचोपचार/कलश/मंत्र)।
स्टेट मिरर / Live news coverage — 2025 के स्थापना-निर्देश।
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