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कैश में लेन-देन पड़ेगा भारी, तो ज़रा संभलकर! वरना देना पड़ेगा 100% जुर्माना (2025)
ब्रेकिंग न्यूज़: ₹20,000 से ज़्यादा कैश लोन लेना या चुकाना अब भारी पड़ेगा, लगेगा 100% जुर्माना!
क्या हैं ये नियम?
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 269SS और 269T में साफ तौर पर कहा गया है कि ₹20,000 से अधिक का नकद लोन लेना या चुकाना गैर-कानूनी है। इसके साथ ही, धारा 269ST के तहत एक दिन में ₹2 लाख से ज़्यादा का नकद लेन-देन (चाहे वह लोन हो, उपहार हो या कोई अन्य भुगतान) भी प्रतिबंधित है। इन नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लेन-देन की पूरी राशि के बराबर हो सकता है।
नियमों का सारांश:
₹20,000 से अधिक कैश लोन लेना: धारा 269SS के तहत, अगर आप किसी व्यक्ति या संस्था से ₹20,000 से ज़्यादा नकद में लोन लेते हैं, तो आपको लोन की पूरी राशि के बराबर जुर्माना देना पड़ सकता है।
- उदाहरण: ₹50,000 का नकद लोन लिया, तो ₹50,000 की पेनल्टी।
- ₹20,000 से अधिक कैश में लोन चुकाना: धारा 269T के तहत, लोन की राशि नकद में चुकाना भी गैर-कानूनी है। इसमें भी 100% जुर्माने का प्रावधान है।
- उदाहरण: ₹30,000 नकद में लोन चुकाया, तो ₹30,000 का जुर्माना।
एक दिन में ₹2 लाख से अधिक कैश ट्रांजैक्शन: धारा 269ST के तहत, एक ही दिन में किसी एक व्यक्ति से ₹2 लाख से ज़्यादा का नकद लेन-देन (चाहे वह लोन, गिफ्ट या अन्य भुगतान हो) पर भी 100% जुर्माना लग सकता है।
उदाहरण: अगर आपने एक दिन में किसी से ₹3 लाख नकद लिए, तो ₹3 लाख की पेनल्टी।
इन नियमों का उद्देश्य क्या है?
सरकार ने इन नियमों को लागू करने का मकसद काले धन (ब्लैक मनी) पर लगाम लगाना और नकद लेन-देन को कम करना है। नकद में बड़े लेन-देन से काले धन का प्रवाह बढ़ता है, जिससे कर चोरी और अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। इन प्रावधानों के जरिए सरकार का लक्ष्य है:
- पारदर्शिता बढ़ाना: डिजिटल और बैंकिंग लेन-देन को बढ़ावा देकर आर्थिक गतिविधियों को ट्रैक करना।
- कर चोरी रोकना: नकद लेन-देन को कम करके टैक्स सिस्टम को मजबूत करना।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: UPI, NEFT जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम को प्रोत्साहित करना।
कब लागू नहीं होता यह नियम?
कुछ मामलों में ये नियम लागू नहीं होते:
- अगर लेन-देन किसी बैंक, डाकघर, सहकारी बैंक या सरकार के साथ हो।
- अगर लेन-देन किसी विशेष परिस्थिति में हो, जिसे आयकर विभाग ने छूट दी हो।
- लेकिन व्यक्तिगत लेन-देन (जैसे दोस्तों या रिश्तेदारों के बीच) में ये नियम सख्ती से लागू होते हैं।
कैसे रहें सुरक्षित?
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि नकद में बड़े लेन-देन से बचना चाहिए। इसके बजाय, निम्नलिखित सुरक्षित और कानूनी तरीकों का उपयोग करें:
- UPI: यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (जैसे Google Pay, PhonePe, Paytm) के जरिए तुरंत और सुरक्षित भुगतान।
- NEFT/RTGS/IMPS: बैंक खातों के बीच बड़े लेन-देन के लिए ये तरीके सबसे विश्वसनीय हैं।
- चेक या ड्राफ्ट: बड़े लेन-देन के लिए चेक या डिमांड ड्राफ्ट का उपयोग करें, जो पूरी तरह ट्रैक करने योग्य होता है।
- बैंक ट्रांसफर: डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर के जरिए लोन लेना या चुकाना।
क्या करें अगर गलती हो जाए?
अगर आपने अनजाने में ₹20,000 से अधिक का नकद लेन-देन कर लिया है, तो तुरंत किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स विशेषज्ञ से सलाह लें। कई बार आयकर विभाग को सही जानकारी देकर और उचित दस्तावेज पेश करके जुर्माने से बचा जा सकता है। हालांकि, जानबूझकर नियम तोड़ने पर सख्त कार्रवाई हो सकती है।
निष्कर्ष
₹20,000 से ज़्यादा का नकद लोन लेना या चुकाना अब महंगा सौदा हो सकता है। आयकर विभाग की नजर में यह गैर-कानूनी है, और इससे बचने के लिए डिजिटल पेमेंट या बैंकिंग चैनलों का उपयोग करें। सरकार का मकसद नकद लेन-देन को कम करके अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाना है। इसलिए, अगली बार लोन लेने या चुकाने से पहले दो बार सोचें और डिजिटल तरीकों को अपनाएं।
सुझाव: अगर आपको लोन से संबंधित कोई दस्तावेज तैयार करना है, तो उसे लिखित रूप में रखें और बैंकिंग चैनलों का उपयोग करें। इससे न सिर्फ आप कानूनी पचड़ों से बचेंगे, बल्कि आपका लेन-देन पूरी तरह सुरक्षित और पारदर्शी रहेगा।
अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी चार्टर्ड अकाउंटेंट या आयकर विभाग की वेबसाइट पर जाएं।
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